‘रेड कार्पेट पर चलना और मंटो के लिए कान्स में भारत को रिप्रजेंट करना अलौकिक अनुभव था!’ ताहिर राज भसीन
बॉलीवुड एक्टर ताहिर राज भसीन आज इंडस्ट्री के सबसे प्रतिभाशाली और वर्सेटाइल युवा अभिनेताओं में गिने जाते हैं। ‘मर्दानी’ से शानदार डेब्यू करने के बाद ताहिर ने ‘फोर्स 2’ में अपनी जबर्दस्त खलनायकी दिखाकर सबको प्रभावित कर दिया था। नंदिता दास द्वारा निर्देशित ‘मंटो’ में ताहिर ने ठेठ कॉमर्शियल सिनेमा से हटकर बड़ी दिलेरी वाला कदम उठाया। कान्स फिल्म फेस्टीवल के लिए भारत की तरफ से चुनी गई इस फिल्म में वह हवा के ताजा झोंके की तरह मौजूद थे। मंटो में निभाए गए किरदार के लिए ताहिर को चौतरफा तारीफ भी मिली।
मशहूर कहानीकार सआदत हसन मंटो की जिंदगी पर बनी इस बहुप्रशंसित ड्रामा फिल्म के रिलीज होने की तीसरी सालगिरह पर ताहिर कहते हैं, “मंटो में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ काम करना एक लाइव मास्टरक्लास थी। 1950 के दशक वाले फिल्मस्टार श्याम चड्ढा (फिल्म में ताहिर का किरदार) और मंटो की दोस्ती एक रियल लाइफ जोड़ी थी, जिसके बीच 50 के दशक वाले बॉम्बे सिनेमा की पृष्ठभूमि वाला महाकाव्यात्मक रोमांच मौजूद था। इस दोस्ती को परदे पर उतारने का मतलब था- भाईयों जैसे आपसी रिश्तों से लेकर दोनों के बीच छिड़े तीखे संघर्ष और फिर अचानक राहें जुदा होने तक के कई सीन करना। नवाज जैसे को-स्टार के साथ इन रंगों में ढलना एक जबर्दस्त अनुभव था। उनकी टाइमिंग, सेंस ऑफ ह्यूमर और उनकी विनम्रता आदि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो मैंने मंटो की शूटिंग करते हुए सीखीं!”
ताहिर आगे बताते हैं, “नंदिता दास विशुद्ध रुचियों वाली निर्देशक हैं और यह बात उनकी बनाई फिल्मों से साफ झलकती है। उन्होंने मुझसे बहुत गहरा प्रदर्शन करवाया। अगर उनकी नजर बारीक से बारीक चीजों पर नहीं टिकी होती, तो मेरे लिए ऐसा परफॉर्मेंस करना संभव ही नहीं था। फिल्म का सफर सुपरसोनिक रहा। हमने एक साल के भीतर ही गुजरात के गांवों में शूटिंग करने से लेकर कान्स के रेड कार्पेट तक का सफर तय कर लिया था। रेड कार्पेट पर चलना, कान्स में भारत का प्रतिनिधित्व करना, अंतरराष्ट्रीय प्रेस और मंटो की फेस्टिवल जूरी के साथ बातचीत करना एक अलौकिक अनुभव था। इंडियन सिनेमा की दो हस्तियों- नवाज और नंदिता के साथ कान्स में इसका अनुभव करना सोने पर सुहागा साबित हुआ।
ताहिर इस बात का खुलासा करते हैं कि मर्दानी और फोर्स 2 के लिए बड़े पर्दे पर खलनायकों वाली भूमिकाएं निभाने के बाद उन्होंने मंटो वाला किरदार क्यों चुना था- “मंटो एक ऐसी फिल्म थी, जिसमें मुझे नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का मौका मिल रहा था। खेलों की तरह एक्टिंग के क्षेत्र में भी आप अपने को-स्टार की काबिलियत के मुताबिक ही निखर पाते हैं। नवाज के साथ काम करना मेरे लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण था। इसका मतलब यह था कि मुझे 50 के दशक वाले फिल्मस्टार श्याम चड्ढा और राइटर मंटो के बीच हुई दोस्ती की गहराई में उतरना है और उसकी परतें तलाशनी हैं।“
ताहिर अब ‘लूप लपेटा’ में तापसी पन्नू के अपोजिट रोमांटिक हीरो की भूमिका निभाते नजर आएंगे और ‘ये काली काली आंखें’ में श्वेता त्रिपाठी के साथ रोमांस करेंगे। कबीर खान की फिल्म ‘83’ में वह दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर का किरदार निभा रहे हैं!
