महाराष्ट्र सरकार पालघर मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने को तैयार
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पालघर में 2020 में हुए साधुओं के मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी है। एक हलफनामे में महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए तैयार है और उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
डीजीपी के कार्यालय में सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह खुलासा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता का हवाला देते हुए मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने का विरोध किया था।
इसे स्वागत योग्य कदम बताते हुए महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि ऐसी घटनाएं महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में दोबारा नहीं होनी चाहिए। लोगों को भी किसी पर हमला नहीं करना चाहिए। खासकर जब वे साधुओं पर हमला करते हैं, हिंदुत्व की बात करने वाले लोग और उनके सीएम थे, फिर भी वह साधुओं को न्याय नहीं दे पाए। हम साधुओं को वापस नहीं ला सकते, लेकिन जो दोषी हैं उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।
16 अप्रैल, 2020 की रात महाराष्ट्र के पालघर जिले में महंत कल्पवृक्ष गिरि और सुशीलगिरि महाराज एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नीलेश येलगड़े की गाड़ी से गुजरात जा रहे थे। तीनों दहानू तालुका के गडचिंचले गांव पहुंचे जहां बच्चा चोर होने का संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर तीनों को मार डाला था।
साधुओं समेत गाड़ी के ड्राइवर की पिटाई की जानकारी के बाद कासा पुलिस स्टेशन से 4 पुलिसकमी मौके पर पहुंचे थे। पुलिसकर्मियों ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई। बाद में पुलिस की एक और टीम मौके पर पहुंची और साधुओं समेत तीन व्यक्तियों को भीड़ से छुड़ाकर अपनी गाड़ी में बैठाया। इसके बाद भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों पर हमला कर दिया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना के बाद कुछ वीडियो सामने आए थे जिसमें पुलिस कर्मियों को चुपचाप खड़ा दिखाया गया, जबकि भीड़ तीन लोगों पर हमला कर रही थी।
मामला जब उछला तो भीड़ को रोकने में लापरवाही बरतने के आरोप में कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी और 126 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसी साल अप्रैल में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 आरोपियों को जमानत दे दी थी। बता दें कि घटना की जांच शुरुआत में पालघर पुलिस ने की थी। बाद में इसे राज्य सीआईडी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया था। जांच के थोड़े दिनों के बाद महाराष्ट्र सरकार की जांच पर संदेह जताते हुए जूना अखाड़ा ने सीबीआई और एनआईए जांच की मांग की थी।
